नई दिल्ली, 13 नवम्बर, 2015। नवधान्य संस्था द्वारा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से ’दिल्ली हाट’, आई.एन.ए. में भारतीय महिलाओं द्वारा उत्पादित एवं निर्मित विभिन्न जैविक उत्पादों तथा हस्तशिल्प की प्रदर्शनी ’वुमन आॅफ इण्डिया आॅर्गेनिक एक्जिबिशन -2015’ प्रारम्भ हो चुकी है। 23 नवम्बर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी का उद्घाटन उद्घाटन श्रीमती मेनका गांधी, महिला एवं बाल विकास मंत्री, के साथ ही राधामोहन सिंह, कृषि मंत्री भारत सरकार के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ। सशक्तिकरण तथा सतत विकास के लिए नवधान्य द्वारा भारत के 22 राज्यों की पचास लाख महिलाओं को ’महिला अन्न स्वराज’ (एम.ए.एस) नामक समूहों से जोड़ा गया है। ’महिला अन्न स्वराज’ समूहों से जुड़ी ये महिलाएं बीज संरक्षण, जैविक उत्पादन, स्वयं सहायता समूहों का निर्माण, बुनकरी तथा करीगरी जैसे रचनात्मक कार्यों में लगी हुई हैं। इस प्रदर्शनी में एम.ए.एस के स्वयं सहायता समूहों के साथ ही विभिन्न प्रदेशों के विशिष्ठ महिला संगठन यथा केरल से कुदुम्बश्री; गुजरात से सेवा; राजस्थान से ग्रविस के साथ ही उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली में समाज सेवा के लिए समर्पित कई अन्य संगठन भी भाग ले रहे हैं। इस प्रदर्शनी में विभिन्न जैविक कृषि उत्पाद, स्वादिष्ट व्यंजन, हस्त निर्मित सजावटी सामान, सुगंधित पदार्थ यथा इत्र इत्यादि, तथा प्राकृतिक रंग देखने को मिल रहे हैं। इस अवसर पर जायकेदार जैविक मसाले, अनाज और हस्तशिल्प पर आधारित वस्तुओं के साथ ही बासमती चावल, विभिन्न तरह की मिर्च, परम्परागत सरसों तथा चैलाई आदि का प्रदर्शन किया गया है। ज्ञात हो कि इस प्रदर्शनी में महिलाओं द्वारा उत्पादित एवं निर्मित वस्तुएं ही रखी गई हैं। नवधान्य के ’महिला अन्न स्वराज समूह’ द्वारा उत्पादित तथा निर्मित भूले-बिसरे भोजन, नमकीन, पापड़ तथा अचार आदि इस प्रदर्शनी के आकर्षकता को बढ़ा रहे हैं। प्रदर्शनी में ’फाइबर आॅफ फ्रीडम’ के प्रतीक जैविक कपास से बने कपडे की स्टाल भी होगी, जिसमें जैविक रंगों से रंगे और विभिन्न डिजायनों वाले कुर्ते, साड़ी के साथ ऊनी कपडे़ भी दिल्ली वासियों के लिए उपलब्ध हैं। इस अवसर पर नवधान्य के कैफे काउंटर पर कई तरह के परम्परागत भोजन (जैविक उत्पादों) का शानदार मेनू भी उपलब्ध है।
आज भारत खाद्य तेल का सबसे बड़ा आयातक देश है। जी.एम. सोया तथा पाम आॅयल ब्राजील तथा इंडोनेशिया के जंगलों को नष्ट कर जा रहे हैं, लेकिन इसी के साथ वे किसानों की आजीविका का भी नाश कर रहे हैं। वे हमसे स्वाद और पोषणयुक्त भोजन का अधिकार छीन रहे हैं। ये निगम बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हमारी तिलहनी फसलों की आंनुवांशिकी को संशोधित कर एक फसली संस्कृति के माध्यम से हमारे तिलहनों की विविधता को बदलना चाहती हैं। 1998 में नवधान्य के ’महिला अन्न स्वराज’ समूहों ने जी.एम.सोया के आयात के विरूद्व ’सरसों सत्याग्रह’ प्रारम्भ किया था। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की पक्षधर तत्कालीन सरकार ने सरसों के तेल पर प्रतिबंध लगाकर किसानों को घानियां को बंद करने पर मजबूर कर दिया। उस कालखण्ड में ’महिला अन्न स्वराज’ समूहों ने सरसांे से प्रतिबंध हटाने के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया। आज हम माताओं-बहनों तथ हजारों सरसों प्रेमियों के गठबंधन के द्वारा इस अन्याय के विरूद्व किये गये इस संघर्ष को भूल गये हैं।
2015 में प्रस्तावित जी.एम. सरसों के खेतों में परीक्षण के विरूद्व तथा परम्परागत सरसों को बचाने के लिए हम देशभर में सरसों सत्याग्रह कर रहे हैं। इस अभियान के तहत पिछले कुछ महीनों में हमने जागरूकता बढ़ाने हेतु बिहार, झारखण्ड तथा राजस्थान के छोटे किसानों को स्थानीय राई और सरसों के बीज भी वितरित किये हैं।
वर्ष 2016 दलहन का वर्ष है। हम भारत में दालों की उत्पादकता को बढ़ाने तथा देश को दालों के मामले में आत्मनिभर बनाने के लिए ’जीवन की दाल’ नामक अभियान प्रारम्भ कर रहे हैं। आज बहुराष्ट्रीय कम्पनियां कृषि-रसायनों और कृषि-क्षेत्र में व्यापार के माध्यम से करोड़ों भारतीयों को पोषण देने वाली दाल को हड़पने की योजना बना रहे हैं। दाल पर डाके डालने की यह प्रक्रिया आयात पर निर्भरता, कीमत में लगातार गड़बड़ी, मुद्रास्फीति में अस्थिरता तथा गलत निर्णयों के माध्यम से जारी है। हमारे दाल उत्पादक किसानों को सरकार कोई समर्थन नहीं दे रही है। आने वाले वर्ष में हम कृषि जैव विविधता में और सघनता लाने तथा पूरे देश में देशी दालों को बढ़ावा देने के लिए कार्य करेंगे। इसी के चलते हम दालों की विभिन्न प्रजातियों हेतु नए सामुदायिक बीज बैंकों की स्थापना करेंगे। जैव विविधता और जैविक खेती के लिए अधिकाधिक किसानों को प्रशिक्षण देंगे और ’अन्न-सम्पन्न नागरिक’ आंदोलन के तहत उपभोगताओं को पारदर्शी कीमतों पर परम्परागत रूप से शुद्ध दाल उपलब्ध कराएंगे।
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रेणुः 0 8373934592
नवधान्य ने बाल दिवस पर प्रारम्भ किया ’युवा अन्न स्वराज’ (युवा भोजन सम्प्रभुता) अभियान
युवा अन्न स्वराज अभियान से होगा भारत का भविष्य सुरक्षित।
बताया गया अधिक वजनी होने का राज।
आठ में से एक व्यक्ति है मोटापे का शिकार।
जंक फूड से मुक्ति और जैविक भोजन अपनाने की ली सपथ।
नई दिल्ली। 14 नवम्बर, 2015। नवधान्य संस्था (जिसकी संस्थापक प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डा. वंदना शिवा हंै।) ने बाल दिवस के अवसर पर स्वस्थ भोजन-युवाओं का अधिकार: ’युवा अन्न स्वराज’ नामक अभियान प्रारम्भ कर दिया है।
इस अवसर पर नवधान्य की ओर से कहा गया कि भारत एक युवाओं का देश है, लेकिन जंक फूड/नकली भोजन/ विषाक्त भोजन के माध्यम से हमारे बच्चे और युवाओं को स्वस्थ रहने और पोषण प्राप्त करने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। आजकल बच्चे ही नहीं युवा भी जंक फूड की लत के शिकार होते जा रहे हैं। जंकफूड की यह लत किसी नशे से कम नहीं है। इस लत से स्वास्थ्य के लिए अविश्वसनीय रूप से हानिकारक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जंक फूड में जहां पोषक तत्वों का अभाव रहता है वहीं इनको स्वादिष्ट बनाने के लिए कई हानिकारक रसायनों का प्रयोग भी किया जाता है।
इस अवसर पर रोगनियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सी.डी.सी.) के हवाले से कहा गया कि वयस्कों में अंतिम बीस वर्ष में मोटापा 60 प्रतिशत बढ़ता है जबकि बचपन से लेकर तीस वर्ष तक तिगुना वनज में वृद्धि दर्ज की गई। एक आंकडे के अनुसार 2005 में भारत में हुई कुल मौतों में से 50 प्रतिशत मृत्यु मौटापे और मधुमेह के कारण हुईं। यदि यही हालात रहे तो मोटापे और मधुमेह के कारण मौत का यह अनुपात 2030 तक एक तिहाई के आंकडे को पार कर जाएगा। नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2005-06) के मुताबिक प्रत्येक आठ में से कम से कम एक भारतीय मोटापे या अधिक वनज की बीमारी का शिकार हो रहा है। दिल्ली उच्च न्यायालय के 2015 के एक फैसले आधार पर एफ.एस.एस. ने कैंटीन पाॅलिसी के साथ ही स्कूली स्वस्थ्य शिक्षा तथा विद्यार्थियों एवं अभिभावकों में जागरूकता फैलाने के लिए एक मसौदा तैयार किया है।
कहा गया कि भारत का भविष्य यहां के बच्चों और युवाओं के हाथों में है। इस अवसर पर नवधान्य ने युवा अन्न-स्वराज अभियान से अधिकाधिक युवाओं को जोड़ने का आह्वान किया और जंक फूड तथा विषाक्त भोजन से मुक्ति पाने के साथ ही स्वस्थ तथा जैविक भोजन अपनाने की सपथ ली गई।
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Navdanya organises Women of India Organic Exhibition with Ministry of Women and Child Welfare
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Food Smart Citizens for Food Smart Cities
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Women of India Exhibition
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